मेड़, खेत, बाउंड्री, के विवाद को कैसे भू राजस्व द्वारा, सीमा चिन्हित कराये

सीमा चिह्न क्या है ? उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006

सामान्य तौर पर सीमा चिह्न का अर्थ प्रारंभिक और अंतिम बिंदु सीमा का कुल क्षेत्र लंबाई तथा चौड़ाई होता है, जो किसी भूमि के भौतिक चिह्न के स्वामित्व की कानूनी सीमा को दर्शाता है। (खेत सीमा विवाद)

सीमा संबंधी विवाद एवं उसका निस्तारण धारा 24 उत्तर प्रदेश भू-राजस्व संहिता

भूमि के सीमांकन के चिन्हित के लिए उत्तर प्रदेश में भूमि या खेत है तो उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 24 के तहत आप को अपने खेत की भूमि को चिन्हित करने के लिए आवेदन जो आपके भूमि की तहसील होगी वंहा करना होगा।

जिसकी सुनवाई वंहा के SDM द्वारा सुनी जायेगी । SDM द्वारा आप के आवेदन की जांच और मुयाना करायी जायेगी । या SDM स्वयं भी अपने संज्ञान में ले कर किसी भी भूमि का सीमांकन तथा स्वामित्व को जाँच कर सकता है।

भूमि जंहा पर है उस गांव का भू मनचित्र यानि पुरे गांव का नक्शा की मदद या सहायता से उसमे आपकी भूमि को देखा जायेगा । अगर ऐसा नहीं हो पाता तो भूमि मौजूद स्थिति पर मौजूद कब्जे को जाँच कर भी चिन्हित कर सकती है।

यंहा मौजूद कब्जे का मतलब जो भूमि का सीमांकन विवादित है उसके असली मालिक या स्वामित्व को sdm द्वारा जाँच तथा आवेदक को sdm को अपने भूमि कागजो और पेपर से अपने स्वामित्व को साबित करना होगा ।

धारा 24 उत्तर प्रदेश भू राजस्व के आवेदन

आवेदन होने के बाद तहसील की कार्यवाही चलेगी उसमे आपको पैरवी तगड़ी कानी होगी जो sdm द्वारा सुनी जायेगी और ये सुनवाई 3 महीने के अंदर पूरी हो जानि रहती है पर ऐसा हो नहीं पाता। आप का आवेदन ठन्डे बक्से में न चला जाये पैरवी करते रहिए।

आवेदक के भूमि के अंतर्गत आने वाले लेखपाल आप के आवेदन की सुनवाई के दौरान आप की भूमि की जाँच कर रिपोर्ट देगा । तथा sdm के समक्ष रखेगा ।

कानोगो और लेखपाल sdm के द्वारा आवेदन के आदेश को तामील मतलब पूरा करने के लिए आप के भूमि का सीमांकन एक बार कच्छी नपाई करेगा। अगर किसी को आपत्ति है तो उस आपत्ति को sdm द्वारा निपटाया तथा सुना जायेगा।

कच्ची नाप और पक्की नाप पत्थर नसब धारा 24 उत्तर प्रदेश भू राजस्व, खेत सीमा विवाद

कच्ची नाप और रिपोर्ट हो जाने के बाद लेखपाल sdm द्वारा आवेदन पर आदेश दिए जाने के बाद , जो सीमांकन का निर्देश है उसे लेखपाल और कानोंगो द्वारा लागु और भूमि को मापा जायेगा और बाउंड्री पत्थर नसब जिसे पक्की नाप भी कहते है कर दिया जायेगा।

अगर बाउंड्री , मेड के मापन में कोई बाधा अड़चन आती है तो लेखपाल पुलिस बल के साथ sdm के आदेश तथा आवेदक को उसकी जमींन सुरक्षित करवायेगा।

इस प्रकरण द्वारा भूमि सीमा विवाद को भू राजस्व विभाग द्वारा शुलझाय जायेगा।

धारा 24(1) उत्तर प्रदेश भू राजस्व विवादित भूमि सीमा

किसी इच्छुक व्यक्ति के आवेदन द्वारा या उपजिलाधिकारी, अपने स्वयं के प्रस्ताव पर विवविदित भूमि के सिमा के आवेदन पर निर्णय ले सकता है। सीमा विवादित आवेदन को

  • सारांश पूछताछ द्वारा,
  • मौजूदा सर्वेक्षण मानचित्रों के आधार पर सीमाओं के संबंध में कोई विवाद या,
  • जहां उन्हें ऐसे मानचित्रों के आधार पर उत्तर प्रदेश चकबंदी अधिनियम, 1953 के प्रावधानों के अनुसार संशोधित किया गया है।

लेकिन यदि यह संभव न हो तो सीमाएं वास्तविक कब्जे के आधार पर तय की जाएंगी।

उत्तर प्रदेश भू-राजस्व संहिता धारा 24(2) उपजिलाधिकारी संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं, खेत सीमा विवाद

यदि धारा 24 की उप-धारा (1) के तहत किसी विवाद की जांच के दौरान, उप-विभागीय अधिकारी (आवेदन के बाद लेखपाल और कानूगो द्वारा जाँच कर पता लगाया जायेगा) खुद को संतुष्ट करने में असमर्थ है कि किस पक्ष का कब्जा है।

यदि यह दिखाया गया है कि कब्ज़ा वैध कब्जेदार को गलत तरीके से बेदखल करके प्राप्त किया गया है, तो उप प्रभागीय अधिकारी

  • पहले मामले में, संक्षिप्त जांच द्वारा पता लगाएगा कि संपत्ति का सबसे अच्छा हकदार कौन व्यक्ति है, और ऐसे व्यक्ति को कब्जे में रखेगा ।
  • दूसरे मामले में, इस प्रकार बेदखल किए गए व्यक्ति को कब्जे में रखें, और उस उद्देश्य के लिए उपयोग करें या
  • जैसा आवश्यक हो वैसा बल प्रयोग कराएंगे और फिर तदनुसार सीमा तय करेंगे।

उत्तर प्रदेश भू-राजस्व संहिता धारा 24(4), उपजिलाधिकारी के आदेश से व्यथित व्यक्ति, खेत सीमा विवाद

उपमंडल अधिकारी के आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति ऐसे आदेश की तारीख से तीस दिनों के भीतर आयुक्त के समक्ष अपील कर सकता है। आयुक्त का आदेश (धारा 210 के प्रावधानों के अधीन) अंतिम होगा।

अगर कोई पक्ष को sdm के आदेश से संतुष्ट अथवा उसे लगता है कि आदेश उसके खिलाफ है तो वो पक्ष आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर Commissioner के समक्ष रख सकता है। और Commissioner का आदेश अंतिम होगा।

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