यदि आप उत्तर प्रदेश से आते है और आपकी कोई भूमि जिसमे आप की भूमिधरी है मतलब सहंअंशधारी है तो आप अपने भूमि का हिस्सा ले सकते है।
जिसके लिये आप को झगड़ा तथा आपस में विवाद कारने की जरुरत नहीं है, आप को भूमि विभाजन का एक वाद sdm के समक्ष लिखित में प्रस्तुत कर सकते है।
उत्तर प्रदेश भू राजस्व संहिता 2006 की धरा 116 के तहत वाद प्रतुत किया जायेगा, 116 कहता है भूमि विभाजन के लिए वाद, भूमिधरी ऐसी जोत के जिसका वह सह अंशधारी है, विभाजन का वाद प्रस्तुत कर सकता है।Up Land Revenue code notes
जोत के भूमि पर लगे व्रक्ष, कुवे और अन्य सुधार का विभाजन कैसे कराये, उत्तर प्रदेश भू राजस्व
उत्तर प्रदेश में भूमि विभाजन के लिए भू राजस्व की धारा 116 के तहत किया जाता है। जिसमे 116 की उप धारा 2 कहती है कि जोत के विद्यमान व्रक्ष, कुवे, अन्य सुधार का विभाजन वाद, न्यायलय कर सकता है।
लेकिन यभी कहा गया है कि जंहा पर ऐसे विभाजन सम्भव नहीं है, वंहा पर उपरोक्त व्रक्षो, कुवो और अन्य सुधारो एवं उनके मूल्यांकन का नियम द्वारा निर्धारित रीती से विभाजन और समायोजन किया जायेगा।
उत्तर प्रदेश भू राजस्व 116 में किसको पक्षकार बनाया जायेगा
उत्तर प्रदेश भू राजस्व की धरा 116 की उपधारा 4 के तहत विभाजन के लिए 116 के आधीन प्रत्येक वाद के लिए सम्बंधित ग्राम पंचायत को पक्षकार बनाया जायेगा।
धारा 116 उप्र भू राजस्व विभाजन के लिए न्यायलय का कर्तव्य
- ऐसे प्रक्रिया का पालन करेगा जो विहित की जाय मतलब नियम द्वारा निर्धारित रीती से किया जाये।
- सहायक कलेक्टर का न्यायलय, प्रत्येक ऐसे विभाजन के सम्बन्ध में जितना भू राजस्व देय होगा प्रत्येक विभाजन बदलाव करेगा।
- धरा 116 में निर्दिष्ट जोत के विभाजन से, अंतरिम डिक्री के दिनांक के पूर्व देय भू राजस्व के सम्बन्ध में उसके खातेदार के संयुक्त दायित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- मतलब भू राजस्व विभाजन की डिक्री से पहले सभी भूमिधारको को भू राजस्व को भरना पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश भू राजस्व धारा 116 बटवारे की प्रक्रिया
- Sdm के समक्ष मिलाजुला नंबर के बटवारे का आवेदन ।
- लेखपाल द्वारा खुर्राफाट तैयार कर बटवारे की प्रतिलिपी तैयार करना।
- अंश आक्या बनाना किसका कितना भू भाग है।


- मिलाजुला संख्याओं की प्रारंभिक विभाजन योजना के सम्बन्ध में नोटिस, जो सभी सह खातेदार को जायेगी। नियमावली के नियम 25 के अंतर्गत। इसमे कलर भी बताया जायेगा ।

- आपत्ति यदि कोई हो तो उसे दाखिल कर सुनवाई करना ।
- अंश रिपोर्ट तैयार करना, sdm के समक्ष प्रस्तुत करना ।

- sdm द्वरा पूरी प्रक्रिया पर सुनवाई कर निर्णय देना।
- यदि वादी या प्रतिवादी sdm के आदेश से असंतोष है तो धारा 210 के तहत पुनर्वाद ला सकता है।
धारा 116 उप्र भू राजस्व sdm के आदेश को challenge चुनौती appeal
60 दिन की अवधि धरा 210 के अधीन किसी प्राथना पत्र पर पुनिरीक्षित कराये जाने वाले आदेश के दिनाक से या संहिता के प्रारम्भ के दिनाक से, जो भी बाद में हो, अवधि की समाप्ति के पश्च्यात विचार नहीं किया जायेगा।
धरा 116 में दिए गए sdm के आदेश को उत्तर प्रदेश भू राजस्व की धरा 210 के तहत कमिश्नर or बोर्ड के समक्ष appeal किया जा सकता है।
धारा 210 कहता है कमिश्नर किसी आदेश की वैधता या औचित्य के प्रति अपना समाधान करने के प्रयोजन मतलब उद्देश्य , अभिलेख मंगा सकता है। यंहा उद्देश्य का मतलब राजस्व न्यायलय द्वारा दिए गए आदेश का है।
यदि कमिसनर द्वरा यह पाया गया कि राजस्व न्यायलय द्वरा निर्णय दिया गया-:
- ऐसी अधिकारिता का प्रयोग किया है जो विधि द्वारा उसमे निहित नहीं है, मतलब अपने क्षेत्राधिकार से ऊपर कोई कार्य किया है जो विधि में नहीं है।
- या वह अपने क्षेत्राधिकार के समक्ष दिए गए विधि में विफल हो जाता है मतबल अधिकारिता का प्रयोग नहीं किया है।
- अधिकारिता का प्रयोग अविदित: किया है या अनियमितता के साथ किया है।
बोर्ड या कमिश्नर( आयुक्त) ऐसे आदेश पारित कर सकता है जिसे वह ठीक समझे।